लोगों को अब सताने लगी अपनी रोजी रोटी की चिंता

मनोज सैनी


महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव परिणाम से स्पष्ट है कि लोगों को अब अपनी रोजी रोटी की चिंता सताने लगी है। चुनाव से पूर्व भाजपा ने हरियाणा में एक नारा दिया था अबकी बार 75 पार और महाराष्ट्र में 200 पार क्योंकि भाजपा ने अपना पूरा चुनावी फोकस स्थानीय मुद्दों पर न रख धारा 370, हिन्दू मुस्लिम, भारत पाकिस्तान आदि पर ही रखा और देश की डूबती अर्थव्यवस्था, जाती नौकरियां, बढ़ती बेरोजगारी, महिला सुरक्षा, भर्ती घोटालों जैसे स्थानीय मुद्दों से दूरी बनाये रखी। इतना ही नही भाजपा ने 75 पर के लिए राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों व टिक टोक गर्ल आदि को भी चुनावी समर में उतार दिया था लेकिन फिर 75 तो दूर 40 भी पर न कर सके। वहीं कांग्रेस अपनी अंतर्कलह से ही जूझती नजर आ रही थी। चुनाव में भाजपा के खिलाफ विपक्ष नाम की कोई पार्टी चुनावी समर में दिखाई ही नहीं दे रही थी। कांग्रेस ने अंतिम समय में हरियाणा के दिग्गज कांग्रेसी नेता भूपेन्द्र सिंह हुड्डा व कु0 शैलजा को हरियाणा की कमान सौंपी लेकिन पूर्व हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर जो राहुल गांधी के खासमखास माने जाते थे उन्होंने न केवल कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया वरन खुलकर कांग्रेस प्रत्याशियों के खिलाफ काम भी किया। यही हाल कांग्रेस का महाराष्ट्र में भी दिखाई दिया। वहां भी वह चौथे नंबर की पार्टी बन गयी। भले ही दोनों राज्यों में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बन गयी हो और सरकार भी बना ले लेकिन इतना तो तय है कि भाजपा की उल्टी गिनती शुरू हो गयी है और जनता भी समझ चुकी है कि जुमलों से न तो रोजी रोटी मिलती है और न पेट को भरा जा सकता है न रोजगार मिल सकता है और न महिलाओं की सुरक्षा हो सकती है। यदि इन चुनावों में विपक्ष चुनाव को चुनाव के तरीके से लड़ता तो निश्चित ही भाजपा को पराजय का सामना करना पड़ता और परिणाम कुछ और होते। जनता को भाजपा के सामने कोई मजबूत विपक्ष नहीं दिखने के कारण मजबूरन उसे भाजपा को ही अपना वोट देना पड़ा।