मनोज सैनी
हरिद्वार। आखिरकार कुम्भ मेला 2021 के लिये होने वाले निर्माण कार्यों में घटिया निर्माण के चलते भ्रष्टाचार का खेल शुरू हो गया है। कुम्भ मेले से जुड़े आलाधिकारी कितनी भी बयानबाजी कर लें की निर्माण कार्यों में गुणवत्ता के साथ पारदर्शिता होनी चाहिये और निर्माण कार्यों की गुणवत्ता के लिये थर्ड पार्टी गुणवत्ता कार्यों की जांच करेगी या कितना भी निरीक्षण कर ले लेकिन ये वास्तविकता है कि कुम्भ के खेल में भ्रष्टाचार का खेल शुरू हो चुका है। कुम्भ मेले के ईमानदार अधिकारियों की सरपरस्ती में चल रहे घाटों के निर्माण में कितनी घटिया सामग्री का प्रयोग किया गया है इसका उदाहरण तब देखने को मिला जब गंगा बंदी के बाद गंगा का जल छोडे जाने के बाद निर्माणधीन घाटों की नींव व फर्श में चौड़ी-चौड़ी दरारे पड़ गई है। घटिया निर्माण के चलते घाटों की परतें उखड़ने लगी है। बिना सोचे समझे निर्माण कार्य करवाने की जल्दबाजी के कारण समय पर घाट के निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है। उत्तर प्रदेश से तालमेल ने होने के कारण दीवाली की रात को जल छोड़ें जाने से करोड़ों रुपए पानी में बह गए है। 14 दिनों बाद भी कंक्रीट ओर सीमेंट सेट नहीं हो पाया जिसका मतलब साफ है कि सीमेंट व रेत का सही मिश्रण नहीं किया गया है साथ ही मानकों के अनुरूप निर्माण कार्य नहीं किया गया है। अनुभव हीन अधिकारियों की जल्दबाजी ओर विभागीय भ्रष्टचार कुंभ कार्यों कि शुरुआत में ही दिखाई पड़ रही है। आखिर करोड़ों रुपए की बर्बादी के लिए कौन जिम्मेदार है?मेला अधिकारी या सिंचाई विभाग या फिर उत्तर प्रदेश सरकार या मंत्री के चेले ठेकेदार। मुख्यमंत्री और मेल प्रशासन का दावा है कि कुम्भ 2021 में 15 करोड़ श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाने आएंगे लेकिन बड़ा सवाल क्या ऐसे घाटों पर मेला प्रशासन उन्हें डुबकी लगवाएगा।