चमोली। उत्तराखंड की संस्कृति और तिब्बत व्यापार से जुडा गौचर मेला हमारी संस्कृतिक विरासत है। आज भी गौचर मेला स्थानीय हस्तशिल्प और हथकरघा के पारम्परिक परिधान बहुत लोकप्रिय है। गौचर मेले में इस बार भी लोगों को जिले के हस्तशिल्प, हथकरघा व लघु उद्यमियों द्वारा निर्मित पारम्परिक परिधान एवं ऊनी वस्त्र बहुत भा रहे है और मेले में लगे उद्यमियों के स्टाॅलों पर जमकर खरीददारी भी हो रही है। इन स्टाॅलों पर गृहणियों को हैंडलूम के उत्पाद भा रहे है तो ठंड के मौसम को देखते हुए गर्म ऊनी वस्त्रों की भी जमकर खरीद्दारी हो रही है। मेले में अच्छी ब्र्रिक्री को देखते हुए स्थानीय बुनकारों एवं शिल्पियों के चेहरे खिल उठे है। मेले में स्थानीय हस्तशिल्प, हथकरघा, सूक्ष्म एवं लघु उद्योग से जुड़े लगभग 50 उद्यमियों ने इस बार 40 स्टाॅल लगाए गए है। इन स्टाॅलों पर 17 नवंबर तक 15 लाख 50 हजार की खरीद्दारी हो चुकी है। मेले में तीन दिन अभी बाकी है और मेले के आखिरी दिन तक इन स्टाॅलों पर 50 लाख तक की खरीद्दारी होने की उम्मीद है।
गोचर मेले में ऊनी कपड़ों की जमकर हो रही है खरीदारी