हरीश रावत
गये थे हरिभजन को, ओटन लगे कपास। आशियान के दस देशों समेत, सोलह देशों के मध्य मुक्त व्यापार समझौता, यानी आरसेप (RCEP)। आरसेप (RCEP) की मीटिंग में हमारे माननीय प्रधानमंत्री, नरेन्द्र मोदी जी भी भाग लेंगे। आरसेप (RCEP) संधी के ड्राफ्ट के जो अंश भारतीय समाचार पत्रों में प्रकाशित हुये हैं, उनके लिये आरसेप (RCEP) एक डरावना सपना बनकर सामने आ रहा है। हमारे देश के जिसको हम दूध-घी-दही का देश कहते हैं, शायद अब दूध-घी-दही सब कुछ आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैण्ड से आयेगा। गौ माता, जो अभी सड़कों पर मारी-2 डोल रही हैं, अब लोग गौ वंश पालने से भी परहेज करने लगेंगे, क्योंकि पालने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। क्योंकि न्यूजीलैण्ड और आस्ट्रेलिया से आने वाला दुग्ध उत्पाद, भारत के किसानों से उनकी गाय व भैंस को छीन लेगा। उम्मीद है, प्रधानमंत्री जी किसानों और भारत के दुग्ध जगत की बेबसी को समझेंगे। कल हमने इन्दिरा जी का बलिदान दिवस मनाया, उनको श्रद्धांजलि अर्पित की। हरित क्रान्ति के बाद इन्दिरा जी ने श्वेत क्रान्ति की नींव डाली थी और आज भारत दुनियां का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है। आरसेप (RCEP) के प्रस्तावों से हमारा दुग्ध उद्योग समाप्त हो जायेगा।