जब अजित पवार की अगुवाई में एनसीपी का एक धड़ा भाजपा के साथ गया तो यह शरद पवार के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया। एक के बाद एक बैठकों का दौर शुरू हुआ। जो विधायक अजित पवार के साथ बताए जा रहे थे, एक के बाद एक शरद पवार के पास लौटने लगे थे। आखिर में अजित पवार अकेले ही बचे रह गए। बावजूद इसके उन्हें मनाने की पुरजोर कोशिश होती रही। विधायक दल के नए नेता जयंत पाटिल, प्रफुल्ल पटेल जैसे कई बड़े नेता उनसे मुलाकात कर उन्हें मनाने की कोशिशों में आखिर तक जुटे रहे। ये कोशिशें रंग भी लाईं। राजनीति करने का शरद पवार का अपना ही अंदाज है। कहा जाता है कि उनकी थाह लेना आसान नहीं है। जब अजित पवार एनसीपी को अपना बता रहे थे तब भी पवार ने आपा नहीं खोया। अजित को पार्टी से बाहर करने की मांग उठने लगी थी, लेकिन शरद पवार ने सधे अंदाज में कदम बढ़ाए। भतीजे अजित के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की। इसके पीछे की वजह ये है कि पवार अच्छी तरह जानते हैं कि अजित पवार का महाराष्ट्र की राजनीति में अपना कद और प्रभाव है। शरद के बाद अजित ही पार्टी में नंबर दो हैं। कुछ मुद्दों पर नाराजगी जरूर है लेकिन मामला परिवार का है। शरद पवार ने न सिर्फ पार्टी को बचाया बल्कि परिवार को भी बचा लिया। मुंबई के होटल ग्रांड हयात में शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी के 162 विधायक जुटे और यहां पवार अलग अंदाज में ही दिखे। विधायकों को संबोधित करते हुए उन्होंने बिना नाम लिए भाजपा को सख्त चेतावनी दे डाली। पवार ने कहा- महाराष्ट्र को गोवा और मणिपुर समझने की भूल न की जाए। फूंक-फूंककर बयान देने वाले पवार का ऐसा आक्रामक अंदाज कम ही देखने को मिलता है।
महाराष्ट्र:शरद पँवार ने मारा शाह के नहले पर दहला, पँवार को समझने के लिये 100 जन्म लेने पड़ेंगे
जब अजित पवार की अगुवाई में एनसीपी का एक धड़ा भाजपा के साथ गया तो यह शरद पवार के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया। एक के बाद एक बैठकों का दौर शुरू हुआ। जो विधायक अजित पवार के साथ बताए जा रहे थे, एक के बाद एक शरद पवार के पास लौटने लगे थे। आखिर में अजित पवार अकेले ही बचे रह गए। बावजूद इसके उन्हें मनाने की पुरजोर कोशिश होती रही। विधायक दल के नए नेता जयंत पाटिल, प्रफुल्ल पटेल जैसे कई बड़े नेता उनसे मुलाकात कर उन्हें मनाने की कोशिशों में आखिर तक जुटे रहे। ये कोशिशें रंग भी लाईं। राजनीति करने का शरद पवार का अपना ही अंदाज है। कहा जाता है कि उनकी थाह लेना आसान नहीं है। जब अजित पवार एनसीपी को अपना बता रहे थे तब भी पवार ने आपा नहीं खोया। अजित को पार्टी से बाहर करने की मांग उठने लगी थी, लेकिन शरद पवार ने सधे अंदाज में कदम बढ़ाए। भतीजे अजित के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की। इसके पीछे की वजह ये है कि पवार अच्छी तरह जानते हैं कि अजित पवार का महाराष्ट्र की राजनीति में अपना कद और प्रभाव है। शरद के बाद अजित ही पार्टी में नंबर दो हैं। कुछ मुद्दों पर नाराजगी जरूर है लेकिन मामला परिवार का है। शरद पवार ने न सिर्फ पार्टी को बचाया बल्कि परिवार को भी बचा लिया। मुंबई के होटल ग्रांड हयात में शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी के 162 विधायक जुटे और यहां पवार अलग अंदाज में ही दिखे। विधायकों को संबोधित करते हुए उन्होंने बिना नाम लिए भाजपा को सख्त चेतावनी दे डाली। पवार ने कहा- महाराष्ट्र को गोवा और मणिपुर समझने की भूल न की जाए। फूंक-फूंककर बयान देने वाले पवार का ऐसा आक्रामक अंदाज कम ही देखने को मिलता है।