मोदी नागरिकता कानून पर पाकिस्तान का नाम लेते है लेकिन बांग्लादेश व अफगानिस्तान के नहीं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल के दौरे पर दूसरे दिन बेलूर मठ में छात्रों को संबोधित करते हुए एक बार फिर से नागरिकता संशोधन क़ानून पर सरकार का पक्ष रखा और इसका बचाव किया। पीएम मोदी ने कहा कि नागरिकता संशोधन क़ानून किसी की नागरिकता ख़त्म करने के लिए नहीं है बल्कि देने के लिए है। पीएम मोदी ने कहा, 'इतनी स्पष्टता के बावजूद कुछ राजनीतिक कारणों से नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर लगातार भ्रम फैलाया जा रहा है। पाकिस्तान में जिस तरह दूसरे धर्मों के लोगों पर अत्याचार होता है, उस पर आवाज़ हमारा युवा ही उठा रहा है। नागरिकता क़ानून में यह संशोधन हम न लाते तो न ये विवाद छिड़ता और न ये पता चलता कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर किस तरह से अत्याचार हुए हैं। उन्होंने कहा, 'अब पाकिस्तान को जवाब देना होगा कि पिछले 70 सालों में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार क्यों हुआ। महात्मा गांधी ने जो कहा था हम वही कर रहे हैं। हमने पूर्वोत्तर भारत के लिए ख़ास प्रावधान किए हैं ताकि उनकी मौलिकता प्रभावित नहीं हो। प्रधानमंत्री ने कहा, 'मैंने यह क़ानून कोई रातोरात नहीं बना दिया है। यह क़ानून नागरिकता छीनने के लिए नहीं है बल्कि देने के लिए है। सीएए उन अल्पसंख्यकों के लिए है जिन पर पाकिस्तान में अत्याचार हुआ है। क्या हमें उन्हें नागरिकता नहीं देनी चाहिए? क्या हम इन्हें मरने के लिए पाकिस्तान भेज दें? नागरिकता संशोधन क़ानून में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 के पहले आए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने की बात है लेकिन पीएम मोदी ने अपने भाषण में केवल पाकिस्तान की आलोचना की। उन्होंने बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान का नाम नहीं लिया। एनआरसी और सीएए को लेकर बांग्लादेश-भारत के रिश्तों में तनाव हैं। बांग्लादेश के विदेश मंत्री और गृह मंत्री पहले भारत का दौरा रद्द कर चुके हैं। इससे पहले बांग्लादेश ने कहा था कि उसके यहां अल्पसंख्यकों पर कोई अत्याचार नहीं हुआ है।बांग्लादेश के विदेश मंत्री डॉ. एके अब्दुल मोमेन ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के आरोप पर कहा था, 'बांग्लादेश में हमारी सरकार में अल्पसंख्यकों का कोई उत्पीड़न नहीं हुआ। हां, ये सही है कि सैन्य शासन और अन्य सरकारों के कार्यकाल में अल्पसंख्यकों का छोटे स्तर पर उत्पीड़न हुआ है। 2001 में अल्पसंख्यकों के साथ हमारी पार्टी के कार्यकर्ताओं का भी उत्पीड़न हुआ है। विदेश मंत्री मोमेन ने यह भी कहा कि भारत की कुछ राजनीतिक पार्टियां अपने हित के लिए एनआरसी में बांग्लादेश का नाम ले रही हैं।भारत में एनआरसी और नए नागरिकता क़ानून का मुद्दा बांग्लादेश की विपक्षी पार्टी बीएनपी भी उठा रही है। बांग्लादेश की मुख्य विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनल पार्टी के महासचिव मिर्ज़ा फ़खरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा है कि भारत के असम राज्य में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिज़न यानी एनआरसी से बांग्लादेश की आज़ादी और संप्रभुता को ख़तरा है।