जनप्रतिनिधियों को नहीं है हरिद्वार की चिंता, हरिद्वार पर भारी पड़ सकती है कोरोना महामारी और डेंगू की जुगलबंदी

मनीष कर्णवाल


हरिद्वार। कोरोना महामारी और डेंगू की जुगलबंदी हरिद्वार पर भारी पड़ सकती है। तीर्थ नगरी हरिद्वार की चिन्ता यहां के जनप्रतिनिधियों को नहीं है। पिछले अठारह साल में शहर को विकास के नाम पर अनगिनत घाव ही मिले हैं। वर्तमान में भी पूरा शहर खुदा पड़ा है। नियोजन और संबंधित विभागों के बीच समन्वय नहीं होने का खामियाजा जनता भुगत रही है। यह हालत तब है कि जब हरिद्वार के विधायक राज्य में और सांसद केन्द्र सरकार में मंत्री है। शहरी विकास मंत्री के प्रतिनिधित्व वाले शहर की बदतर हालत स्वयं स्पष्ट कर रही है कि हरिद्वार की किस कदर उपेक्षा की गई है। अनियोजित विकास हरिद्वार को सुविधाओं के हिसाब से पीछे ही ले जाएगा। गैस पाईपलाईन बिछाने में सड़क व पेयजल आदि विभाग के साथ समन्वय के अभाव में मार्गों पर जगह-जगह गड्ढे हैं जो हादसे का कारण बन लोगों के जीवन पर भारी पड़ रहे हैं। जगह-जगह पाईपलाईन के लिए गड्ढे खोदते समय पेयजल लाइन क्षतिग्रस्त हो रही हैं, जिससे जलापूर्ति प्रभावित हो रही है। बरसात और पेयजल लाईनों से रिसाव का पानी गड्ढों में एकत्रित होकर डेंगू मच्छर आदि का प्रवास स्थल बना रहे हैं।सरकार के मंत्री और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की ओर से लगातार उपेक्षा के चलते अब जनता महंगाई, बेरोजगारी की मार तथा कोरोना महामारी के खौफ के बीच डेंगू के डंक की संभावना के कारण परेशान है।