शहरी विकास मंत्री सहित सभी पूर्व पालिकाध्यक्ष व मेयर की नाकामी का नतीजा है डूबता हरिद्वार

विनोद गोयल


हरिद्वार। नालों के आसपास घूमती राजनीति के चक्कर में हरिद्वार ही नाला बन गया है। हर कोई वर्तमान मेयर के खिलाफ आवाज़ उठा रहा है लेकिन कोई मंत्री जी से नहीं पूछता कि जिस क्षेत्र के वें 18 सालों के विधायक है, कई बार मंत्री रहे, अभी भी शहरी विकास मंत्री हैं, उनका शहर क्यों डूब रहा है? क्या शहरी विकास मंत्री का काम ऐसा विकास करना है? हरिद्वार में जलभराव के निदान के कई वादे किए लेकिन पिछले साल तक की गई बैठकों का क्या नतीजा निकला? कहाँ है वो करोड़ों रुपए जिसकी बैठकों में बात की जाती थी? मंत्री जी बताएं कौन-से ग्रह पर डीपीआर बन रही है। भाजपा नेताओं ने कुछ दिन पहले पानी भरने पर एक पोस्ट करके कहा था कि हरिद्वार में नाला सफाई के लिए आये पैसों के खर्च की जांच होनी चाहिए। जांच अवश्य होनी चाहिये लेकिन बताएं कि क्या हरिद्वार में पहली बार पानी भरा है? या इससे पहले बारिश ही नही हुई कभी? आपकी सरकार के कार्यकाल में कुछ भी हो, उसी जांच की आप मांग नही करते, लेकिन अपना मेयर नहीं है, तो जांच की मांग? यही आपका न्याय है? जांच हो तो हर कार्य की हो। बिजली, पानी, गैस की लाइन से लेकर सड़क निर्माण तक की। कांग्रेस और भाजपा की ये एकतरफा राजनीति बताती है कि न वर्तमान मंत्री जी और उनके नेताओं को शहर के विकास से कुछ लेना देना है और न कांग्रेस को। इसलिए जो पहले विकास की मांग उठाते थे, अब चुप हैं, क्योंकि जिस संपत्ति को जोड़ने के उद्देश्य से वें आवाज़ उठाते थे, वो संम्पत्ति वें कमा चुके हैं। अब बस किसी न किसी मंत्री के साथ लगे हुए हैं, ताकि काम निकलता रहे। जांच हो तो मंत्री सहित इनकी संपत्ति की भी हो, चाहे वो वर्तमान मंत्री हो या पूर्व मंत्री। हर पार्टी के मंत्री की। लेकिन जांच करेगा या करवाएगा कौन? बाकी नादान तो जनता है, जो सब कुछ जानकर भी नालों के पानी में डूबने के लिए और अनियमति विकास के लिए वोट देती है।