शिक्षा अधिकारी द्वार गठित जांच समिति में हुआ खुलासा, सरकारी शासनादेश का उल्लंघन कर अभिभावाकों से शिक्षा के नाम पर लूटने में लगा था "द विजडम ग्लोबल स्कूल" का प्रबंधन, क्या स्कूल प्रबंधन अभिभावकों को वापिस करेगा 17000 रुपये

हरिद्वार। उद्योगपति सरकार के संरक्षण में शिक्षा का बाजारीकरण कैसे करते है इसका जीता जागता उदाहरण ज्वालापुर दिल्ली हरिद्वार रोड पर स्थित "द विजडम ग्लोबल स्कूल है। ऐसे स्कूल सरकारी शासनादेशों का खुलेआम उल्लंघन कर अभिभावकों को शिक्षा के नाम पर कैसे लूटते है इसका खुलासा मुख्य शिक्षा अधिकारी द्वारा गठित की गई जांच समिति में सामने आया। जिसमें जांच समिति ने पाया कि उक्त स्कूल 2017 से ही सरकारी शासनादेश का खुला उल्लंघन करता आ रहा था। अब आपको सिलसिलेवार बताते है कि अपनी विवादित कार्यशैली को लेकर हमेशा चर्चाओं में रहने वाले "द विजडम ग्लोबल स्कूल' के खिलाफ कोरोनाकाल में बच्चों की स्कूल फीस को लेकर अभिभावकों के उग्र प्रदर्शन के दबाव में जनपद के मुख्य शिक्षा अधिकारी आनंद भारद्वाज ने एक जांच समिति गठित की थी जिसमे जांच समिति ने पाया कि उक्त द विजडम ग्लोबल स्कूल द्वारा अवैधानिक तरीके से नए प्रवेशित छात्रों से अतिरिक्त मद के रूप में 2000 रुपए प्रति छात्र एवं वन टाइम सिक्योरिटी चार्ज के रूप में 15000 लिया गया है जो कि शासनादेश संख्या 586/xxiv-3/17/01(11)/2007 दिनांक 27 अप्रैल 2017 का खुला उलंघन है। जांच समिति ने मुख्य शिक्षा अधिकारी को अपनी आख्या देते हुए लिखा है कि चूंकि प्रधानाचार्य/ प्रबंधक "द विजडम ग्लोबल स्कूल" ने शासनादेश का उल्लंघन किया है इसलिये प्रधानाचार्य/प्रबंधक "द विजडम ग्लोबल स्कूल" को आदेशित किया जाता है कि ट्यूशन फीस के अतिरिक्त छात्र छात्राओं से वसूले गए अतिरिक्त मद के रूप में 2000 व 15000 टोटल 17000 को तत्काल सम्बंधित अभिभावकों को वापिस करना सुनिश्चित करे तथा कोरोना काल को ध्यान में रखते हुए किसी भी परिस्थिति में शुल्क जमा करने में हुए विलंब के कारण छात्रों को विद्यालय से बाहर न किया जाए इसके साथ साथ बच्चों को ऑनलाइन शिक्षण से वंचित न किया जाए। अब सवाल उठता है कि जब अप्रैल 2017 से शासनादेश था कि कोई भी विद्यालय कोई भी अतिरिक्त शुल्क नही ले सकता है तो फिर "द विजडम ग्लोबल स्कूल" का प्रबंधन किस आधार पर अभिभावकों से 17000 रुपये अतिरिक्त शुल्क वसूल कर रहा था। विद्यालय में 2017, 2018, 2019, 2020 में स्कूल में कितने अभिभावकों ने अपने बच्चो को शिक्षण हेतु प्रवेश दिलाया। यह भी जांच का विषय है। विश्वसनीय सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि 2017 से 2020 तक लगभग 400 बच्चो का नई एडमिशन हुआ है। अब देखना दिलचस्प होगा कि उक्त स्कूल के प्रबंधन द्वारा इस अवधि में अभिभावकों से वसूला गया लगभग 70 लाख रुपया क्या उन्हें वापिस किया जाएगा या फिर स्कूल प्रबंधन कोई नया खेल रचेगा।