एनयूजे ने हाथरस में मीडिया पर पाबंदी की आलोचना की, साथ ही की डीएम व पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग

नई दिल्ली। नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया), दिल्ली जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन और उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ने हाथरस में बलात्कार पीड़िता की मौत की कवरेज के दौरान प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों द्वारा मीडियाकर्मियों के साथ बदसलूकी की कड़ी निंदा की है। संगठनों ने हाथरस के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है। एनयूजे-आई के अध्यक्ष रास बिहारी, संगठन सचिव और भारतीय प्रेस परिषद के सदस्य आनंद राणा, कोषाध्यक्ष डा. अरविन्द सिंह, दिल्ली जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश थपलियाल, महासचिव केपी मलिक और उपजा के अध्यक्ष रतन दीक्षित तथा महासचिव अशोक अग्निहोत्री ने कहा कि हाथरस में कवरेज के लिए जाने वाले पत्रकारों को रोका जा रहा है। यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कुठाराघात है। अपनी गलतियों को उजागर करने से रोकने के प्रयासों से उत्तर प्रदेश सरकार की फजीहत हो रही है। एनयूजे-आई के अध्यक्ष रास बिहारी ने कहा कि हाथरस में बलात्कार पीड़िता की मौत और प्रशासन के रवैये की सच्चाई स्थानीय पत्रकारों और छोटे अखबारों के कारण ही सामने आई हैं। उन्होंने कहा कि मीडिया आज है, कल नहीं रहेगा कहकर पीड़िता के परिवार को धमकाने वाले जिलाधिकारी को तुरंत जिले से दफा करना चाहिए। योगी सरकार मीडिया पर रोक लगाने के बजाय अपने अफसरों की मनमानी पर रोक लगाए। प्रेस काउंसिल के सदस्य और एनयूजे-आई के संगठन सचिव आनंद राणा ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार को मीडियाकर्मियों से बदसलूकी करने वाले जिलाधिकारी और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कड़े कदम उठाने चाहिए। डीजेए अध्यक्ष राकेश थपलियाल ने कहा कि मीडियाकर्मियों को कवरेज से रोककर अफसर अपनी गलतियां छिपाने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं। डीजेए महासचिव के पी मलिक ने कहा है कि जिलाधिकारी और पुलिस के अफसरों की मनमानी करने से स्पष्ट हो रहा है कि उत्तर प्रदेश में अफसरशाही हावी हो गई है। सत्तारूढ़ दल के सांसद और विधायक ही योगी सरकार की आलोचना कर रहे हैं। संगठनों की तरफ से कहा गया है कि हाथरस में मीडियाकर्मियों से साथ बदसलूकी शिकायत प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृहमंत्री और भारतीय प्रेस परिषद से की जाएगी।