हरिद्वार। देश में शिक्षा का बाजारीकरण कर शिक्षा को उद्योग बनाने वाले उद्योग पति कैसे बच्चों के माता पिता को गुमराह करते है इसकी बानगी हरिद्वार-दिल्ली हाइवे पर स्थित द विजडम ग्लोबल स्कूल के प्रबंधन द्वारा देखने को मिली। द विजडम ग्लोबल स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे के अभिभावक सचिन चोपड़ा द्वारा सोशल मीडिया पर जारी कुछ जानकारी साझा की गई जिसमें सचिन चोपड़ा ने बताया कि कुछ दिन पहले द विजडम ग्लोबल स्कूल, हरिद्वार द्वारा अपने ऑफिसियल फेस बुक पेज पर घोषणा की कि द विजडम ग्लोबल स्कूल ने Best school with online education support in haridwar एवं Most innovative and Enterprising school in uttrakhand दो अवार्ड जीते।
सचिन चोपड़ा ने इन अवार्डों से सम्बंधित कुछ सवाल भी सोशल मीडिया के जरिये पूछे जिसमें 1-क्या यह अवार्ड सबसे CBSE ने CONDUCT किये?
2- क्या यह अवार्ड ऑनलाइन क्लासेस शुरू करने वाली सबसे बड़ी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट TEAMS या गूगल क्लासरूम ने CONDUCT किये?
3- क्या इसमें हरिद्वार व उत्तराखंड के सभी स्कूलों को सम्मिलित किया गया?
उपरोक्त तीनों सवालों का जवाब है नहीं तो फिर ऐसे अवार्ड मिलने से क्या दर्शाना चाहता है स्कूल मैनेजमेंट?
सचिन चोपड़ा ने बताया कि जब उन्होंने द विस्डम ग्लोबल स्कूल को मिले अवार्ड की सत्यता की जानकारी की तो मालूम हुआ कि जिस कम्पनी ने उक्त आवर्ड स्कूल को प्रदान किये है वह एक मार्केटिंग कंपनी है जो मात्र15000 हजार रुपये में आपकी मार्केटिंग कर देती है।
सचिन चोपड़ा ने आगे बताया कि यदि आपको किसी बेस्ट सलून का अवार्ड, बेस्ट शॉप का अवार्ड, बेस्ट फर्नीचर का अवार्ड, बेस्ट शोरूम का अवार्ड, बेस्ट रेस्टोरेंट आदि का अवार्ड लेना हो तो आप इन कंपनियों से सम्पर्क कर सकते है। इतना ही नहीं चोपड़ा ने आगे बताया कि जब कोई रेस में अकेला ही दौड़ता है तो उसका प्रथम स्थान आना निश्चित है वो भी 15 हजार रुपये में।
अब आप समझ सकते है कि ऐसे स्कूलों में बच्चों को कैसी शिक्षा दी जाती होगी जहाँ स्कूल को स्थापित व महंगी शिक्षा देने के नाम पर मार्केटिंग कम्पनियों बक सहारा लेना पड़ता है।
ज्ञात ही है कि कोरोनाकाल में द ग्लोबल विजडम स्कूल बच्चों की फीस को लेकर काफी विवादों में रहा है जिस कारण उसकी छवि बहुत ज्यादा खराब हुई है और अनेकों अभिभावकों ने अपने बच्चों की टीसी उक्त स्कूल से कटवाकर अन्य स्कूलों में दाखिला करवा लिया है। अपनी धूमिल हुई छवि को सुधारने के लिये स्कूल के प्रबन्धन ने माता पिता की आंखों में धूल झोंकने के लिये अब मार्केटिंग कम्पनी का सहारा किया है। अब देखना है कि माता पिता उक्त स्कूल की मार्केटिंग पर कितना विश्वास करते हैं।